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लेखनी प्रतियोगिता -12-Apr-2023 ययाति और देवयानी

भाग 37 


शर्मिष्ठा के पैर भूमि पर नहीं पड़ रहे थे । एक अनजानी शक्ति उसे अपनी ओर खींच रही थी । प्रेम का ये कैसा आकर्षण है जो किसी को बरबस अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है । जैसे पृथ्वी अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से सबको अपनी ओर खींच लेती है उसी प्रकार सोलह वर्ष से अधिक आयु वालों को प्रेम अपने बंधन में जकड़ लेता है । एक अनदेखा सा , अनजाना सा चेहरा आंखों के सामने अचानक उभरता है और वही चेहरा संसार में सबसे प्यारा चेहरा बन जाता है । फिर संसार की सारी वस्तुऐं, सारे संबंध गौण प्रतीत होते हैं । एक ही संबंध सर्वोपरि लगने लगता है और वह संबंध है प्रेम का । व्यक्ति अपनी सुधबुध खोकर अपने प्रेमी में डूब जाता है । फिर उसे अपने प्रेमी के चेहरे के अतिरिक्त और कुछ दिखाई नहीं देता । उसकी वाणी के अतिरिक्त और कुछ सुनाई नहीं देता । उसकी एक मुस्कान से अधिक प्रिय और कुछ नहीं लगता । उसकी एक दृष्टि लाखों जीवन दे जाती है । ये कैसा जादू है ? ये भला वो क्या जाने जिसने कभी प्रेम नहीं किया हो ? 

शर्मिष्ठा हवा में उड़ने लगी थी । सखियों से ये बातें कैसे छुप सकती हैं । प्रेमा ने शर्मिष्ठा की भाव भंगिमा और दहकती सांसों से पहचान लिया कि उसकी सखी अब उसकी सखी न रहकर किसी की प्रेमिका बन गई है । प्रेम में डूबे व्यक्ति को एकान्त प्रिय लगने लगता है । वह लताओं से, पुष्पों से घण्टों बातें करता रहता है । झरनों की बरसात में नहाता रहता है । नदियों के साथ साथ बहता रहता है । तारों के साथ साथ जागता रहता है । प्रेम की सुगंध से महकता रहता है । प्रेमा भी तो उस दौर से गुजर चुकी थी इसलिए उसे सब पता था । 
प्रेमा दबे पांव शर्मिष्ठा के पीछे आ गई और अपनी दोनों हथेलियों से उसने शर्मिष्ठा की दोनों आंखें बंद कर दीं और वहीं पर मौन साधकर खड़ी हो गई । यदि वह पूछती "बूझो तो जानें" तो उसकी आवाज से शर्मिष्ठा उसे पहचान नहीं जाती ? इसलिए वह चुपचाप आकर खड़ी हो गई । 
"अब कैसे पहचानेगी उसे" ?  प्रेमा का मन उमंगों से भरा हुआ था । 

शर्मिष्ठा ने उसकी कोमल हथेलियों का स्पर्श अपनी आंखों पर महसूस किया । "इतनी आत्मीयता, इतना प्रेम कौन प्रदर्शित कर सकता है" ? शर्मिष्ठा भी अनुमान लगाने लगी । "है तो कोई सखी ही । बाकी तो कोई और उसे छूने की हिम्मत नहीं कर सकती है । माते को ऐसा करने की क्या आवश्यकता है ? तो फिर सखियों में से ही ढूंढ निकालना होगा" । शर्मिष्ठा के अधरों पर शरारत वाली मुस्कान आ गई । उसने आंखें बंद करने वाली सखि की कलाइयां टटोली । "अरे, ये कंगन तो प्रेमा पहनती है" । कंगनों की बनावट से उसे पता चल गया था कि वह प्रेमा ही है । लेकिन वह अभी अपने भाव प्रकट नहीं करना चाहती थी । वह इस परिहास को और बढाते हुए बहाने बनाने लगी 
"ऐसे कैसे पता लगाऐं, कुछ संकेत तो दे दो सखि" ? 

प्रेमा समझ गई कि शर्मिष्ठा उसे बातों में उलझाकर उसे बुलवाना चाहती है और उसकी आवाज से उस तक पहुंचना चाहती है । पर उसने भी कोई कच्ची गोटियां नहीं खेली थीं । वह चुपचाप ही रही , बोली कुछ नहीं । अलबत्ता वातावरण में उसकी सुमधुर हंसी अवश्य गूंज उठी । 
"अरे, यह हंसी तो हमारे अमात्य पुत्र विक्रम की एकमात्र प्रेयसी की प्रतीत हो रही है । लगता है कि आज विक्रम ने प्रात:काल बेला में ही अपनी प्रेयसी को "अधर पान" करा दिया है । इसीलिए वे इतनी उल्लासित और आनंदित होकर अपनी प्रसन्नता को इस प्रकार प्रकट कर रही हैं । क्यों है ना सखि" ? शर्मिष्ठा ने बलपूर्वक प्रेमा के हाथ अपनी आंखों पर से हटाकर कहा । प्रेमा ने भी अपने हाथों की पकड़ ढीली कर दी थी । जब पहेली सुलझ ही गई तो अब आंखों पर हाथ क्यों रखना ?  शर्मिष्ठा ने अपने उत्तर में उस पर ताना ही कस दिया था । 
"जितनी सुन्दर हो उससे भी अधिक बुद्धिमान भी हो । वह राजकुमार बहुत भाग्यवान होगा जिसका तुम वरण करोगी । क्यों, सही कहा ना सखी" ? प्रेमा बोली । 
"भाग्यवान तो हमारे अमात्य पुत्र विक्रम हैं जिन्हें मेरी प्यारी सखी का प्रेम मिला है । मेरी सखी का हृदय बहुत कठोर है । बिल्कुल पाषाण सदृश है । इस पाषाण हृदय में प्रेम के बीज अंकुरित करना कोई आसान कार्य है क्या ? क्यों, है ना सखी" ? 
"तर्कशास्त्र में आपको परास्त करना बिल्कुल असंभव कार्य है सखी । मैं आपके ज्ञान और आपकी बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करती हूं । परन्तु , आज मैं भी आपके हृदय रूपी मरुस्थल में एक नखलिस्तान का दर्शन कर रही हूं सखि । कौन है वह भाग्यवान जिसने एक मरुस्थल में नखलिस्तान बना दिया । हम भी तो जाने" । प्रेमा ने अपनी बाहें शर्मिष्ठा के गले में डाल दीं और उसकी आंखों में डूबते हुए पूछा था । 
शर्मिष्ठा भी इतनी आसानी से अपना गुप्त भेद कहां खोलने वाली थी । वह मुस्कुराकर कहने लगी 
"इस पृथ्वी पर ऐसा कौन है जो एक मरुस्थल में नखलिस्तान बना दे ? मुझे तो ऐसा कोई व्यक्ति दूर दूर तक दिखाई नहीं देता है । तेरी दृष्टि में यदि ऐसा कोई व्यक्ति हो तो बता , मैं उसके पास जाकर प्रणय निवेदन कर लूंगी" । शर्मिष्ठा ने शरारत से कहा । 

उसकी इस बात पर शर्मिष्ठा की सब सखियां  खिलखिला कर हंस पड़ी इससे प्रेमा झेंप गई और कहने लगी 
"हां है एक व्यक्ति । उसे मैं जानती हूं । वह भारतवर्ष का एक चक्रवर्ती सम्राट है जो हस्तिनापुर में रहता है" । यह सुनकर सब सखियां एक दूसरे की आंखों में देखकर मुस्कुराने लगीं और हास परिहास करने लगीं । प्रेमा भी हास परिहास में सम्मिलित हो गई । 

हास परिहास में ही संकेतों में ययाति की बात छिड़ गई । ययाति का वर्णन आते ही शर्मिष्ठा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और लाज से उसकी दृष्टि झुक गई । सहेलियों ने शर्मिष्ठा की इस भंगिमा को देख लिया और उन्हें समझते देर नहीं लगी कि शर्मिष्ठा का "चितचोर" कौन है ? 
"अच्छा जी, तो ये बात है । चोरी चोरी प्रेम किया जा रहा है । पर शर्मि, छुप छुपकर प्रेम क्या करना ? प्रेम कोई अपराध है क्या जो छुप छुपकर किया जाये ? प्रेम तो प्रभु की एक भक्ति है जो सबके सामने करने योग्य है । अपने प्रेम को खुलकर प्रकट करो सखि । तुम्हारा आज दूसरा जन्म हुआ है । अब तक तुम अपने माता पिता की लाडली थीं । आज से तुम अपने प्रेमी के प्राण हो । चलो, अब हमें उसका नाम भी बता दो जो अधरों पर न जाने कब से रखा हुआ है" । प्रेमा सहित सभी सखियां शर्मिष्ठा के पीछे पड़ गई । शर्मिष्ठा ने भी उनकी बात मानते हुए कहा 
"अच्छा , मैं 'उनका' नाम बताऊंगी किन्तु अपने मुंह से नहीं । मेरी "कूंची" उनका नाम बताएगी" । शर्मिष्ठा ने शरमाते हुए कहा । 
"हमें तो हमारी सखि के चितचोर का पता लगाना है । तुम उसे अपने मुंह से कहो या अपनी कूंची से, हमें क्या" ? सभी सखियां नीचे हरी हरी घास पर बैठ गईं ।

 शर्मिष्ठा ने चंपा दासी को बुलवा लिया था । राधा चित्रकारी का समस्त सामान लेकर आ गई । चंपा बताती जा रही थी और शर्मिष्ठा ययाति का चित्र बनाती जा रही थी । शर्मिष्ठा की चित्रकारी बहुत उच्च कोटि की थी । जब वह चित्र बनकर तैयार हुआ तो उसे देखकर स्वयं शर्मिष्ठा आश्चर्य चकित रह गई । कितना सजीला नौजवान लग रहा था ययाति ? शर्मिष्ठा का जी चाह रहा था कि वह अपलक उसे देखती रहे । सब सखियों को पता चल गया था कि शर्मिष्ठा का "चितचोर" कौन है ? 

श्री हरि 
8.7.23 

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10 Comments

Gunjan Kamal

14-Jul-2023 12:26 AM

👏👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Jul-2023 10:36 AM

🙏🙏🙏

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Sushi saxena

12-Jul-2023 11:06 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Jul-2023 10:36 AM

🙏🙏🙏

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Varsha_Upadhyay

12-Jul-2023 08:52 PM

शानदार

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Jul-2023 10:36 AM

🙏🙏🙏

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